मंगलवार, 8 फ़रवरी 2011

वसंतोत्सव


वसंतोत्सव

वासन्ती मौसम है आया
मन में छाई है हरियाली,
सभी रंगे हैं एक ही रंग में
सब पर छाई फागुन की लाली |

मौसम ने तो मुख है मोड़ा
पत्तों ने भी साथ है छोड़ा,
सारे चमन में घूम के देखा
सूनी पड़ी है डाली-डाली | सभी.....

रिश्ते नाते एक हुए सब
वसंत का मौसम आया है जब,
चाहे दादा दादी हों
या हों साला साली | सभी.....

दूर रही जो पिया से अब तक
देख रही थी ढेरों सपने,
मिलन की बातें आते ही
छा जाती गोरी के मुख पर लाली | सभी.....

अबकी बार बसंत में हम भी
कुछ ऐसा रंग जमायेंगे,
रंग देंगे मुखड़े को उनके
बनती थी जो अब तक भोली-भाली | सभी.....

शुक्रवार, 2 अप्रैल 2010

छाँव




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गुरुवार, 1 अप्रैल 2010

दोस्त

आज 
हमने बदलती दुनिया कि 
एक तस्वीर देखी है 
जो रहे न उम्र भर 
वो दोस्ती देखी है 
कल क्या होगा 
यहाँ कोई नहीं जानता
फिर  भी हमने  
इंतजार कि वो घडी देखी है 
जो हसंता रहा 
खिलखिलाता रहा उम्र भर 
आज 
उसकी आँखों में नमी देखी है | आज ....... 

मेघ कथा

घूमता रहा 
मैं अकेला आसमान में 
जाने 
कितने लोगों से मुलाकात हुई 
इस जहाँ  में 
सोचा था 
अभिब्यक्त करूंगा खुद को 
तृप्त करूँगा सबको 
लेकिन 
मेरे ये ख्यालात 
वो सारी बात 
मेरे दिल में  ही धरी रह गयी 
क्योंकि तभी 
जाने किधर से हवा बह गयी
और ले गयी 
अपनी बाँहों में समेट कर 
क्षितिज कि उस ओर 
जहाँ प्रतीत होता है 
मिल रहें हों 
धरती और आसमान के छोर 
जाकर वहां लगा
उस भीड़ में खो गया हूँ 
अपनी 
अभिब्यक्ति को भूल गया हूँ 
इच्छाएं दम तोड़ रही थी 
बातें 
सुनने को मिल रही थी 
ऐसे ही 
काफी वक्त बीत गया 
फिर से मौसम 
बरसात का आ गया 
मन हरसाया, बाहर आया 
देखा लोग खुश हो रहे थे 
हमारी प्रतीक्षा कर रहे थे 
ऐसे में मैं भी 
खुद को रोक न पाया 
उनकी खुशियों में
साथ  निभाया 
इस तरह अभिब्यक्त किया 
खुद को 
तृप्त किया सबको, तृप्त किया सबको...........

शबनम

ठंडी सी एक बूंद गिरी थी 
मन को उसने सिहराया था 
हिम का अंश थी या कि शबनम 
कोई समझ नहीं पाया था |
रात चाँदनी तारे करते टिम-टिम 
सन्नाटा सा छाया जग में 
दिल के दरवाजे पर दस्तक देने 
ख्वाब में कोई आया था | ठंडी.......
बागों में कुछ फूल खिले थे 
बैठे पंछी शाखाओं पर 
सर-सर करता हवा का झोंका 
उसकी यादों को ले आया था | ठंडी.....
कल-कल करती नदियाँ जैसे 
चंचल मन है उसका वैसे 
देख के उसने मेरा चेहरा 
पलकों को ऐसे छपकाया था | ठंडी.....
बात करे तो ऐसा लगता 
कोई कली हो मुस्काई 
दिल कि बात अभी तक उसके 
मैं तो जान न पाया था | ठंडी....

सोमवार, 15 मार्च 2010

नव संवत्सर की हार्दिक शुभकामनाएँ




नव संवत्सर पर कामना है
आप आगे बढे निरंतर ...........
वह पथ क्या
वह पथिक क्या
जिसकी राहों में
बिखरे शूल न हों
नाविक की
धैर्य परीक्षा क्या
जब धारायें
प्रतिकूल न हों.
माँ कामनाएँ पूर्ण करें...........


हिमांशु वशिष्ठ

शुक्रवार, 12 मार्च 2010

अजनबी



कल रात ख्वाबों में आकर
उसने मुझे जगाया था
हमें नहीं मालूम
वो मेरा अपना ही साया था
इस भरे शहर में
हर शख्स था अजनबी
उसने अपने होने का एहसास कराया था | कल..
अंदाज-ए-बयां होता रहा
उनकी निगाहों से
जो उसने मुझसे छुपाया था ,
अक्श देखा जो उसका
उसके करीब से
आँखों में अपना ही चेहरा
नज़र आया था | कल....
मन की उसने दी सौगात
हंसी और ख़ुशी की
फिर भी चैन मेरे पास न था
करता रहा मैं बात उसकी तस्वीर से
मैं अकेला कब था ?
अपनी तन्हाईओं में उसको पाया था | कल..