ॐ
नव संवत्सर पर कामना है
आप आगे बढे निरंतर ...........
वह पथ क्या
वह पथिक क्या
जिसकी राहों में
बिखरे शूल न हों
नाविक की
धैर्य परीक्षा क्या
जब धारायें
प्रतिकूल न हों.
माँ कामनाएँ पूर्ण करें...........
हिमांशु वशिष्ठ
सोमवार, 15 मार्च 2010
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें