ठंडी सी एक बूंद गिरी थी
मन को उसने सिहराया था
हिम का अंश थी या कि शबनम
कोई समझ नहीं पाया था |
रात चाँदनी तारे करते टिम-टिम
सन्नाटा सा छाया जग में
दिल के दरवाजे पर दस्तक देने
ख्वाब में कोई आया था | ठंडी.......
बागों में कुछ फूल खिले थे
बैठे पंछी शाखाओं पर
सर-सर करता हवा का झोंका
उसकी यादों को ले आया था | ठंडी.....
कल-कल करती नदियाँ जैसे
चंचल मन है उसका वैसे
देख के उसने मेरा चेहरा
पलकों को ऐसे छपकाया था | ठंडी.....
बात करे तो ऐसा लगता
कोई कली हो मुस्काई
दिल कि बात अभी तक उसके
मैं तो जान न पाया था | ठंडी....
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